हे बाँके-बिहारी
हे बाँके-बिहारी
अद्भुत छवि तुम्हारी,
हे बाँके बिहारी,
पगड़ी की शोभा,
लागे न्यारी न्यारी !
पीत वसन पहने गिरधारी,
पीत पीतांबर धारी
वृंदा संग सोहत बनवारी,
गोपियन संग
रास रचावत मनोहारी !
मन मोरा बावरा भया कान्हा,
यहाँ भी है इक जोगन तिहारी !
बस एक नजर की
प्यास है कान्हा !
बस तुम्हरी आस है कान्हा,
चरणों की मैं तुम्हरी दासी !
एक नजर देख लो बृजवासी !
कृपा करो हे कुंज बिहारी,
मन में बसो हे बनवारी !
बिना तुम्हारे आस नहीं,
पनघट को भी प्यास तुम्हारी !
सूनी अंखियाँ राह तके मुरारी
आ भी जाओ किशन कन्हाई !