कौन कहता है
कौन कहता है


कौन कहता है कि गिद्ध लुप्त हो गए हैं
जीवित लाशों को नोंचने, रूप बदल लिए हैं।
कूद रहीं अंधकूप में, पापा की परियां
असहाय से देखते, मां -बाप खड़े हुए हैं।
विश्वास करके कभी, घर न लाना किसी को
विश्वास घाती ही अब, मित्र बने हुए हैं।
टूटल मनवा जोड़ू कइसे, टूटी आस की डोर
गिद्धों का समाज जुटल बा, खाये नोंच-नोंच।