अनंत यात्रा हमारी
अनंत यात्रा हमारी
अनंत यात्रा हमारी,
आज हम कहां खड़े हैं
चहुँ ओर राख ही राख,
उड़ रहे हैं।
कायरों की रखी है,
म्यान में तलवार
तटस्थों से इतिहास,
कल पूछेगा सवाल।
अतीत से हमनें,
क्या नहीं ली है सीख
आजादी की कद्र नहीं,
क्या पाई हमनें भीख।
भेड़ों के झुंड़ निकल रहे,
सड़कों पर डराने को
काफी है बस एक,
सिंह की दहाड़।
वणिकों की बुद्धि से,
करो न तुम व्यवहार
वरना कल पूछ ही लेगा,
कहाँ तुम्हारा हिंदुस्तान ?