गुनहगार का आईना
गुनहगार का आईना
हो अक्स खुद का जब आईने में,
गुनहगार चेहरा अच्छा लगता है !
फ़रेब की मासूमियत से,
शिकन माथे का, सच्चा लगता है!
बेशक मुखौटे हैं कई पर,
खुद के आगे बेनक़ाब होना अच्छा लगता है!
कह दिए लोगों से झूठ अनगिन पर,
अंतर्मन पर, सच सजाना अच्छा लगता है!
खुद के दिल को दें कैसे तसल्ली,
क़ुबूल कर टूट जाना, बस यही सच्चा लगता है !