एक झलक के लिए
एक झलक के लिए
बड़ा बेसबर हूँ मैं उसकी, एक झलक के लिए।
नजरें बेचैन हैं कब से ,उस नजर के लिए ।
मेरे सफर की राह भी नहीं, ना मंजिल है
चल पड़े हैं कदम कौन से, सफर के लिए।
हैं लाखों बंदिशें हर तरफ, इस ज़माने की
करूँ मैं कैसे रुख फिर, तेरे शहर के लिए।
दिल ने समझा है उसे अपना, पूरी शिद्दत से
सोच में डूबा रहता हूँ ,तेरी फ़िकर के लिए।
मैंने भी प्यार किया है, किसी से सच्चा
रह गयीं हैं ये बातें, सिर्फ जिकर के लिए।
आईना देखना सजना, ना रास आता है
खोयी है अपनी कदर, उस बेकदर के लिए।
जाने क्यों खो गयी मुझसे, वो महकी सी फिजा
भरा है काँटों से दामन, मेरा गुजर के लिए।
सुबह बहरी है उसके बिन, शाम गूंगी है
रात भी स्याह काली है, बसर के लिए।