न आज छोडो कहीं किसी को बचा जो रंग है दो डाल बाकी। न आज छोडो कहीं किसी को बचा जो रंग है दो डाल बाकी।
पत्ता -पत्ता बूटा -बूटा दूर रहने को मजबूर हो आया है। पत्ता -पत्ता बूटा -बूटा दूर रहने को मजबूर हो आया है।
या ये जज्बात महज़ शब्दों में ही छप कर रह जाएंगे ? या ये जज्बात महज़ शब्दों में ही छप कर रह जाएंगे ?
सबके चेहरे हुए रंगीनों लाल इन फिजाओं मे उड़ता रहे यूं ही रंग गुलाल....। सबके चेहरे हुए रंगीनों लाल इन फिजाओं मे उड़ता रहे यूं ही रंग गुलाल....।
हर किसी का खैरमकदम करता हुआ बहारों की हंसी फिजाओं से भरा रखें। हर किसी का खैरमकदम करता हुआ बहारों की हंसी फिजाओं से भरा रखें।
इश्क और मौसम का मिला जुला शुरूर है पलकें झुकी झुकी रूह बोल रही है। इश्क और मौसम का मिला जुला शुरूर है पलकें झुकी झुकी रूह बोल रही है।