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Pushp Lata Sharma

Abstract

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Pushp Lata Sharma

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अभी तो' होली शुरु हुई है

अभी तो' होली शुरु हुई है

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अभी तो' होली शुरू हुई है,

अभी तो' मलना गुलाल बाकी

नयी उमंगे नयी तरंगें

नया नया सा धमाल बाकी


हरा गुलाबी जरा सा' पीला

अबीर हाथों लिए खड़े हैंं

चला न जाये कोई निकलकर 

सभी के रंगने हैं गाल बाकी


सखे  घुलेगी ये भाँग थोड़ी

गिलास भरकर सभी पियेंगे

जरा सी मस्ती जरा शरारत

जरा जरा सा है ताल बाकी


फिजा महकती हवा बहकती

पलाश पेड़ों पे खिल गये हैं

भ्रमर की गुंजन चमन चमन में

कली का होना निहाल बाकी


भुला के शिकवे सभी

शिकायत गले मिलेंगे ऐ दोस्त सारे

मिटा अदावत जड़ों से

अपने ख़ुशी की देना मिसाल बाकी


बजा मँजीरा ये ढोल झाँझर 

निकल के आओ सभी घरों से 

न आज छोडो कहीं किसी को

बचा जो रंग है दो डाल बाकी।


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