होली के रंग अपनो संग
होली के रंग अपनो संग
प्यार के रंग हजार
मुझ पर चढ़ा यह बेशुमार
अच्छा है, बुरा है
मैंने अपने सपनों के रंगों से भरा है
लोगों ने यह भली कही
रंग होली का कच्चा ही सही
प्यार की डोर में
अपनेपन के मेल में
यह है मेरी पक्की डोर की बही
धरती सुनहली हुई
सबके चेहरे हुए रंगीनों लाल
इन फिजाओं मे उड़ता रहे
यूं ही रंग गुलाल....।