STORYMIRROR

Goldi Mishra

Tragedy Inspirational Others

4  

Goldi Mishra

Tragedy Inspirational Others

दुर्गा

दुर्गा

2 mins
292


लाल चुनर से निखरा है दुर्गा मां का रूप,

जग हो रहा हर्षित निहार कर मां दुर्गा का स्वरूप,

घर घर देवी है आई,

मां साथ अपने ढेरों खुशियां है लाई,

गूंजे तबले मृदंग और ढोल की थाप,

सब खेले सिंदूर रस्म झूमे सारा संसार,


लाल चुनर से निखरा है दुर्गा मां का रूप,

जग हो रहा हर्षित निहार कर मां दुर्गा का स्वरूप,

महिषासुर घाती मां दुर्गा का रौद्र रूप है अती पावन,

वहीं पालन पोषण करती मां अन्नपूर्णा रूप अति मन भावन,

मां सौम्य है, मां शक्ति भी है,


लाल चुनर से निखरा है दुर्गा मां का रूप,

जग हो रहा हर्षित निहार कर मां दुर्गा का स्वरूप,

पाप जब कर गया हर दहलीज को पार,

करने दुष्टों का संहार मां ने धरा रूप विकराल,

करूँ आज मैं रज रज कर मां का सोलह श्रृंगार,

पाकर दुर्गा भक्ति का सौभाग्य मैं हो गई निहाल,


लाल चुनर से निखरा है दुर्गा मां का रूप,

जग हो रहा हर्षित निहार कर मां दुर्गा का स्वरूप,

शिव की अर्धांगिनी मां दुर्गा,

गणेश कार्तिक पर प्यार लुटती मां दुर्गा,

हर धर्म को है निभाया,

नारी की सही परिभाषा से सारे संसार को अवगत कराया,


लाल चुनर से निखरा है दुर्गा मां का रूप,

जग हो रहा है हर्षित निहार कर मां दुर्गा का स्वरूप,

मेरी भक्ति में हुई जो भूल उसे माफ कर देना,

जब भटक जाऊं मैं राहों पर तुम मुझे सही राह दिखा देना,

पहली भोर सी लालिमा मां के मुख पर है छाई,

मां के क़दमों से मेरे मन के आंगन में रुत सुहानी है छाई,



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy