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Ratna Pandey

Drama Tragedy

5.0  

Ratna Pandey

Drama Tragedy

बदलते रिश्ते

बदलते रिश्ते

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प्यार के यह रंग बड़े ही गहरे होते हैं,

लग जाए एक बार जो दामन पर,

जाते नहीं यह बड़े ही ज़िद्दी होते हैं,

लाख मिटाना चाहो इन्हें, मिटते नहीं,

यह दाग अपना छोड़ जाते हैं।


दिखाकर सपने नए यह रंग भरते हैं,

खुले जब आँख तो यह बदरंग लगते हैं।


चले गए हो मुझे छोड़कर,

तन्हा तुम ना जाने कहाँ,

दिल चाहता है कि काश तुम्हें मैं ढूँढ़ पाऊँ,

बनकर पंछी आकाश में उड़कर,

तुम्हारे पास आ जाऊँ।


नहीं आता कभी कोई कागा मेरे आँगन,

कि कुछ उम्मीद रख पाऊँ,

पड़ी हूँ मैं अकेली,

किसे मैं अपनी लोरी सुनाऊँ ?


दे गए थे जो उपहार तुम,

मैंने बड़े ही प्यार से पाला है।

लुटा दिया है तन मन धन सब उन पर,

वह तुम्हारी निशानी हैं,

मैंने बस इतना ही जाना है।


नहीं करता कोई भी परवाह अब मेरी,

जीने की ख़त्म हो गई है जो चाह थी मेरी।

कानों में मेरे अब कोई आवाज़ नहीं आती,

जीभ किसी से कुछ कह नहीं पाती।


हूँ अकेली यहाँ मैं डर लग रहा है,

मौत से नहीं डरती तुम्हारे पास आना चाहती हूँ।

चार कंधे भी नसीब में नहीं होंगे मेरे,

यह बात तुम्हें बताना चाहती हूँ।


कैसे बतलाऊँ,

तुम सुन ना पाओगे जो हाल है मेरा,

गर तुम साथ होते,

तो हाथ मेरा थाम लेते,

बनकर मेरा सहारा गम बाँट लेते।


चार दीवारों के अंदर दम घुट रहा है मेरा,

कोई नहीं है पास मुझे डर लग रहा है।

मौत तो आनी ही है वह तो आएगी,

रूह निकलकर तुम्हारे पास आ जाएगी।


नहीं चाहती,

जिस्म मेरा चींटियों का आहार बन जाए,

नहीं चाहती,

कि फिर वह कंकाल बन जाए,

पेपर में चित्र बनकर छप जाए,

और इस रिश्ते एवं आपकी निशानी को,

दुनिया में बदनाम किया जाए।



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