मेरी तमन्ना
मेरी तमन्ना
ले ले रंग गुलमोहर के
गगरी भर इश्क की
आसमान पे छिड़क दे तू
कुछ मेरे नाम सा उभर आएगा !
रात को शबनम के कतरों संग
खुली खिड़की से चुपके से
तुम्हारे सिरहाने बैठकर
ठुमरी गुनगुनाते तुमको जगाएगा !
सपने की खुशबू से
होंठों पर ठहरेगी प्यार की कुछ बूँदें
मेरे अधजगे नैंनो की
खिड़की से झाँकेगी !
पलकों से अपनी तुम हौले से
उठाकर सीने में धड़कती
संदूक में संजोकर
ताउम्र स्मृतियों में मुझको दोहराना !
बादलों की चौखट से चुटकी भर
मेघ की मैं छींटे उठा लूँ
भोर में रश्मियों की नदियों से
नूर की कुछ बूँदें चुरा लूँ !
कल्पना के झूले पर तुमको बिठाकर
सारी रंगीनियाँ मैं तुम पर लूटा दूँ,
पंखुड़ियां मोगरे की सेज पर सजाकर
पलकें मूँदे तेरे सीने पर सो जाऊँ !
एक पगली की तमन्नाओं का
कारवां सफ़र पे निकला,
मंज़िल है आगोश तुम्हारी।