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malini johari

Drama Tragedy

3.4  

malini johari

Drama Tragedy

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

2 mins
14.4K


आज कल ज़िन्दगी

बड़ी फ़िज़ूल सी लगती है,

रात होते ही आंखों में

थोड़ी नमीं सी लगती है


ना जाने क्यों हरेक को ही

समझने की कोशिश किया करते हैं

फिर खुद को ही सही

और गलत के तराज़ू में

तोला करते हैं


बस यही सोचते सोचते

दिल में एक टीस सी उठती है

आज कल ज़िन्दगी

बड़ी फ़िज़ूल सी लगती है


सबकुछ तो है

दुनिया की नज़र में,

बड़ी खुशहाल सी है ज़िन्दगी

पर असल में टूटे हुए रिश्ते हैं,

थोड़ी बेहाल सी है ज़िन्दगी


खुशियों की तलाश में

बड़ी बैचेनी सी लगती है

आज कल ज़िन्दगी

बड़ी फ़िज़ूल सी लगती है


वो कहते हैं कि

हम थोडा बदल से गये हैं

कुछ ओर ही चाहते हैं ज़िन्दगी से

और वो कुछ ओर ही चाह रहे हैं


चाहत जो एक दूसरे से थी,

ना जाने उन्हें क्यों अब अलग सी लगती है

आज कल ज़िन्दगी

बड़ी फ़िज़ूल सी लगती है


कभी कभी बड़ा अकेला सा

महसूस किया करते हैं

इस मशगूल सी दुनिया में

खुद को ला हासिल सा पाया करते हैं


ना जान क्यों अपनेपन की

तलब सी लगती है

आज कल ज़िन्दगी

बड़ी फ़िज़ूल सी लगती है


अपना जिसे थे मानते

वो बेगाने से लगने लगे हैं

चलते थे जो साथ वो

अब रुख मोड़ने लगे हैं


ना जाने क्यों रिश्तों की डोर

बड़ी मतलबी सी लगती है

आज कल ज़िन्दगी

बड़ी फ़िज़ूल सी लगती है


बस काम और दुनियादारी की

भीड़ में भागते जा रहे हैं

ना जाने किस भट्टि में

खुद को झोकते जा रहे हैं


ज़िन्दगी में अब एक

ठहराव की ज़रूरत सी लगती है

आज कल ज़िन्दगी

बड़ी फ़िज़ूल सी लगती है


एक के बाद एक

नए दरवाज़े खोलने लगे हैं

खुशी की तलाश में

इधर उधर भटकने लगे हैं


सबकुछ होते हुए भी

ना जाने किस चीज़ की प्यास सी लगती है

आज कल ज़िन्दगी

बड़ी फ़िज़ूल सी लगती है


कुछ करने की चाह तो है

पर रास्ते नज़र नहीं आते हैं

लगता है चलते चलते

गलत रास्ते पे भटक जाते हैं


सही रास्ते की पहचान कराने वाली

उस नज़र की बड़ी ज़रूरत सी लगती है

आज कल ज़िन्दगी

बड़ी फ़िज़ूल सी लगती है


खो जाते हैं कई बार

जब फैसले कठिन लेने होते हैं

कोई कह दे कि "मैं हूँ साथ"

- बस यही ढूंढते रहते हैं


इस अकेलेपन से बड़ी

चिड़चिड़ाहट सी लगती है

आज कल ज़िन्दगी

बड़ी फ़िज़ूल सी लगती है


दिन ढला, शाम हुई,

वक़्त भी बीतता है

पर ना जाने ये गम का

बादल क्यों नहीं छटता है


एक सुनहरी सी धूप की

तलाश सी लगती है

आज कल ज़िन्दगी

बड़ी फ़िज़ूल सी लगती है


चलो पन्ने पलट के देखते हैं

कितनी लंबी ये किताब है

खुशी और गम की स्याही से

लिखे बड़े सारे हिसाब हैं


ज़िंदा हैं जब तक

ज़िन्दगी जीनी तो पड़ती है

आज कल ज़िन्दगी

बड़ी फ़िज़ूल सी लगती है...!


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