खुशनुमा
खुशनुमा
माना हर दिन मुस्कुराया नहीं करता
और हर रात हँसीं हुआ नहीं करती
गमों का होना ज़रूरी है दोस्त
ज़िन्दगी सिर्फ खुशनुमा हुआ नहीं करती
पर हर रात के बाद सहर होगी
तेरे दर पे भी खुदा की महर होगी
वक़्त की सूई खुद को दोहरायेगी
खुशियों की तेरे मुकदर में भी लहर होगी
दिल को थाम और वक़्त को बहने दे,
फिर एक दिन उजाले की वही हँसी किरण होगी
हर रात के बाद सहर होगी।।
