कठिन रास्ता
कठिन रास्ता
तकदीर ने कुछ
इस कदर साथ निभाया
राह चलते चलते
गिराकर उठाया
ठोकर तो दिलाई पर
मुश्किलों से लड़ना भी सिखाया
चोट दिलाकर उस पे
वक़्त का मरहम भी लगाया...
अब एक रास्ते की
कहानी सुनाते हैं दोस्त
किस तरह वो
ठोकर खा कर उठा
- ये बताते हैं दोस्त
कुछ अलग था रास्ता
जब शुरू किया था सफर
रास्ते में कोई नही
बस अकेला था मगर
फिर एक सुनहरा सा
मोड़ आया
और मुड़ गया वो
फिक्र ना की मंज़िल की
और बस चल दिया वो
दिमाग ने कहा,
रुक जा !
ये रास्ता कठिन लगता है
ऊबड़ खाबड है सड़क
और लौटने का मोड़ भी नहीं दिखता है
पर दिल ने कहा,
नहीं !
कुछ लोगों को जाते देखा है
हरियाली से भरा है
और बड़ा आसान दिखता है
तभी दिल ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया
और कुछ राहगीरों के साथ
कदम से कदम मिलाया
दिमाग ने फिर
दिल को रोका,
पर दिल को कहां सब्र था ?
वो तो बस सुनहरे पंख लगाए
उड़ने को अग्रसर था !
उसने सोचा,
शायद ये साथी साथ निभाएंगे
ये रास्ता ही क्या
ये आगे भी अपनापन दिखाएंगे !
दिमाग ने कहा,
बुद्धू !
ये साथी नहीं, मुसाफिर है
रास्ते में ही साथ छोड़ जाएंगे
रास्ता तो क्या
फिर मंजिल पाना भी
मुश्किल कर जाएंगे
पर अब चल दिया था
तो मुड़ना मुश्किल था
रास्ता गड़बड़ लग रहा था
पर हंसी खुशी से
रास्ता भी कट रहा था
कई कठिनाइयों का सामना कर
वो आगे बढ़ रहा था
मंज़िल तो दिख रही थी
पर अब थोड़ा दर्द भी हो रहा था
तभी कुछ साथियों ने
अपना रास्ता बदल लिया
और कठिन राह में
उसको बिल्कुल अकेला छोड़ दिया
उसने कहा,
दोस्तों !
थोड़ी दूर और साथ चल लेते
चलो साथ ना सही
पर मुझको आगे का
रास्ता तो बता देते !
पर उन राहगीरों को
कहां रुकना था
और उनका अपनी राह भी तो पकड़ना था
तकलीफ तो हो रही थी उसे
और आगे चलना भी
मुश्किल हो रहा था
गिर कर टुकड़े हुआ था दिल
क्योंकि उसने दिमाग का नहीं सुना था
तभी कुछ अपनो ने हाथ दिया
और खुद से उठना सिखा दिया
रास्ते की परख कराके
ज़िन्दगी जीना सीखा दिया
अब उसने भी मंज़िल को
पार कर लिया था
और नये रास्ते का रुख
मोड़ लिया था
क्या आप भी मुश्किल
रास्ते पे अटक गये है ?
मंज़िल को पाने के लिए
कहीं भटक गए हैं ?
तो चलो,
डर का सामना करते हैं
मुश्किलों से लड़ते है
खुद से उठते हैं
और अपनी मंज़िल को पाते हैं...!