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Vivek Agarwal

Drama Action Fantasy

4  

Vivek Agarwal

Drama Action Fantasy

ज़िन्दगी की शतरंज

ज़िन्दगी की शतरंज

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ये ज़िन्दगी शतरंज है और मोहरे हैं हम सारे। 

खेलता कोई और है जब मोहरा मोहरे को मारे। 


कहने को तो कहलाये जाते कुछ मोहरे राजा-रानी। 

कठपुतली हैं पर सारे मोहरे बात नहीं यह जानी। 


बिछे बिसात पर पैदल सैनिक ऊँट घोड़े हाथी। 

दूजे रंग को दुश्मन समझे अपने रंग को साथी। 


कोई सीधे कोई तिरछे कोई चलता आड़ी चाल। 

पर सब चालें हैं और की जो बुनता अपना जाल। 


शायद एक दिन आएगा जब मोहरे नींद से जागेंगे। 

बंद करेंगे लड़ना मरना अपने अधिकार को मांगेंगे। 


बस उस दिन उठ जाएगी शतरंज की ये कुटिल बिसात। 

न शह मिलेगी किसी को जग में न होगी किसी की मात।



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