ये रात रोज आए......
ये रात रोज आए......
ये रात रोज आए,
मुझे मुझसे मिलाने।
मेरा सोया मन जगाने,
झकझोर नींद भगाने,
ये रात रोज आए,
मुझे मुझ से मिलाने।
माँ तेरे आँचल की छाया,
पल्लू से मुंह पोंछ आए।
चिंता वाली आंखें तेरी,
बेफिक्री की चुम्मी मिल जाए।
विरह के बदलते करवट,
तेरे मोती से आंसू के मोल बताने।
ये रात रोज आए, मुझे मुझसे मिलाने।
दादी ने सपने थे जो बुने,
हमारे कल पे जीती थी।
उत्साह की रेखा उनसे,
संयम भी उनके बातों से सीखी थी।
कि ना डरना और चलते चलना,
दूर क्षितिज से भी आगे।
ये रात रोज आए,
मुझे मुझसे मिलाने।
त्याग, तपस्या, सच, मेहनत,
कर्म, एकाग्र, संज्ञान,
जीवन जीने की कला सिखाते,
देव रूप पिता महान।
देने अनुशासन की शक्ति,
आत्म बल का परिचय दिलवाने।
ये रात रोज आए,
मुझे मुझसे मिलाने।
दिन भर की थकन से उबर,
मिलता जब सोने को बिस्तर।
याद तब आती है,
घर वाले और प्यारा घर।
पर वो रात अचानक आती,
जो झकझोड़ के जगाती।
ख्वाहिश, अपनत्व, कर्तव्य, खुशी,
तुम्हारे अपने आप से तुम्हें मिलाती।
तो आता रहे वो पल,
मुझे मेरे अस्तित्व के साथ सजाने।
ये रात रोज आए,
मुझे मुझसे मिलाने।
मेरा सोया मान जगाने,
झकझोर नींद भगाने,
ये रात रोज आए, मुझे मुझसे मिलाने
