ये देख ज़िन्दगी
ये देख ज़िन्दगी
फिर भी बहुत दूर चला आया हूँ,
जो ख्वाब मेरे हवा थे,
उनका जवाब ढूँढ़ लाया हूँ,
ये देख ज़िन्दगी,
मैं कितना दूर निकल आया हूँ।
वो पुरानी नींव जो कमजोर हो चली थी,
उनमें खुशियों की मरम्मत कर आया हूँ,
ये देख जिंदगी,
मैं इक माँ के आंसू पोंछ आया हूँ।
चार दिन, चार कदम और एक तू थी,
फिर भी कितना सँवार लाया हूँ।
ये देख ज़िन्दगी,
मैं किस्मत से थोड़े रंग उधार लाया हूँ।
वो एक ज़माना और तस्सुवर की रातें वो एक सीरत,
जिस पर दिल हार आया,
देख ज़िन्दगी मुश्किल ही सही,
मगर मोहब्बत सीख पाया हूँ
फिर भी बहुत दूर चला आया हूँ।।
