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Rajeev Rawat

Romance

4  

Rajeev Rawat

Romance

यादों की सलवटें--दो शब्द

यादों की सलवटें--दो शब्द

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जब से गये हो दूर सजन, हम क्या थे और क्या हो गये हैं

बस तेरी यादों की सिलवटों में, साजन हम भी खो गये हैं

दिल कल तक जो था अपना, अब पराया सा हो गया है

श्वासों की रिद्म और धड़कनों का अस्तित्व ही खो गया है

ये आंखें तो बेबस बादल सी बिन मौसम बरस हैं जातीं

सुबहा से रोज सांझ तलक तक तेरे सपने ही हैं सजाती

कैसे मैं देखूं सपने तेरे, मेरी ये अंखियां भी देती है धोखा

नींद भी तो अब आती नहीं, तेरी बैरन यादों ने जो है रोका

हमने कर दिया है अपना, प्यार में तन मन तुझे ही अर्पण

अक्सर सताता है मुझे, होकर बेशर्म मेरे दिल का दर्पण 

खाली खाली दीवारों पर अहसासों के अक्स हैं उभरते

 तकिया, रजाई और गद्दे कितनी शिकायत तेरी हैं करते

कब समझेगा ओ निर्मोही कहती क्या है दिल की धड़कन

यादों कि सिलवटों में है कैद तेरी स्पर्श की मीठी सिहरन

ढलने लगी रात अंधेरी अब तो सब परिंदे भी सो गये हैं

 बस तेरी यादों की सिलवटों में, साजन हम भी खो गये

               


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