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Amar Adwiteey

Drama Inspirational

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Amar Adwiteey

Drama Inspirational

वक्त की आवाज है

वक्त की आवाज है

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ढल रही है रात अब सूरज निकलना चाहिए,

हर अमावस को मगर चंदा बदलना चाहिए।


तू बना और मैं बना फिर बाद में मज़हब बना,

वक्त की आवाज़ है इंसान बनना चाहिए।


राज धर्मों की रहे ना तनिक भी परवाह जब,

तब बगावत के लिए तैयार रहना चाहिए।


है समय की चाल अपनी वश यहाँ चलता नहीं,

साथ चलना तो इसी की चाल चलना चाहिए।


भाग्य खुद ही लिख रहे ऐसे सिकंदर हैं कई,

ध्यान रखते वे कहाँ क्या काम करना चाहिए।


यूँ हकीमों या वकीलों के निकट फिरते रहो,

क्या बुरा है क्या भला इसको समझना चाहिए।


मेरी बातों पे यकीं तुम को अभी आता नहीं,

क्या ज़रुरी है कि गिरकर ही संभलना चाहिए।


पूर्णता मुझ में नहीं सम्पूर्ण तुम भी हो कहाँ,

पूर्णता से राष्ट्र ध्वज लेकिन फहरना चाहिए।


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