तू ही है...
तू ही है...
शहर तो बदल लिया, हवा वही है
मर्ज कोई भी हो, दवा तू ही है
बस निशान चल पड़े, कदम वही है
सफर के साथी हैं बहुत, हमदम तू ही है
बीत गई बातें मगर, आज भी बात वही हैं
तू साथ तो नहीं, पर साथ तू ही हैं
बादल तो बदल गए, बरसात वही है
दिन राह में हैं जिसकी, वह रात तू ही है
कायम रहें धूप छांव के सिलसिले, पर आज भी मौसम वही है
खामोश लब गुनगुना रहे जो, वह धीमी सी सरगम तू ही है
चुराई थी खुशियां जहां से, हर गम वही है
मेरा जख्म भी तू, मरहम तू ही है
बस हादसे बदलते रहे, अंजाम वही हैं
तेरे बदले जो पाया, वह इनाम तू ही हैं
सुबह तो आती जाती हैं, हर शाम वही हैं
हथेली पे जिसका निशान बना हैं, वह नाम तू ही हैं...!