STORYMIRROR

Professor Santosh Chahar

Romance

4.5  

Professor Santosh Chahar

Romance

प्रेम मंजरी

प्रेम मंजरी

2 mins
616


मेरे जाने के बाद

वसीयत जब पढ़ी जाएगी,

तो तुम्हारे हिस्से आएंगी

मेरी सारी प्रेम रचनाएं,

तुम से यूं बिछुड़ने के बाद,

कुछ बातें रह गई थीं अधूरी

जिन्हें प्रेम की स्याही से उकेरा है मैंने,

दर्ज़ हैं इनमें बिछोह की टीस

जिसे तुम शब्द नहीं दे पाए,

पीड़ा की अनूभूति से सराबोर,

तुम्हारी अधखुली आंखें 

प्रेम के चरमोत्कर्ष को बयां कर गयी थीं,

उद्वेलित भावनाओं की लहरों को रोकने की जद्दोजहद में

तुम्हारे होंठ फड़फड़ा रहे थे,

तुम्हारे, हाथों के कम्पन में परिलक्षित

हो गई थी, दिल की सतह पर

थिरकती रुमानी धड़कनें,

और

तुम्हारे माथे पर खींची थी ,

मेरे भविष्य के प्रति चिंता की लकीरें,

आखिर मुलाकात का वह अहसा

स,

मेरे हृदय आंगन में,

तुलसी का पौधा बन उग आया था,

जिसे, मैं नित्य पूजा क्रम की भांति

प्रेम की नमी से सींचती रही,

वर्षा ऋतु में, जैसे

तुलसी की मंजरीयां

बीज बनकर,

नये पौधों को जन्म देती हैं,

ठीक उसी तरह,

मेरी आंखों से बरसी बूंदें

यादों की मंजरीयों को,

प्रेम धरा पर रोपती रहीं,

मेरे आंगन में तुलसी के पौधे

उसी अनुपात में बढ़ते रहे,

जिस अनुपात में,

हमारे अधूरे प्यार की कोपलें,

कविता , कहानी बन उतरती रही पन्नों पर,

तुलसी की तरह अराध्य है

हमारी प्रेम कहानी,

वसीयत का ये हिस्सा लेने तुम जरुर आना,

यही तुम्हारा, मेरे प्रति

स्नेहिल श्रद्धासुमन अर्पण होगा

आओगे ना?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance