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Renu kumari

Romance

3.3  

Renu kumari

Romance

लौट आ.....

लौट आ.....

2 mins
530


तू कितना याद आता है मुझे ये कैसे मैं तुझे बताऊँ ।

तू लौट कर अब ना आएगा जाना

ये कैसे मैं इस दिल को समझाऊँ ।

तू यार था मेरा तू ही हमदर्द भी

ऐ ख़ुदा तू ही बता कैसे मैं उसे वापस लाऊँ।

रोज़ की खट्टी मीठी तकरार से

कैसे मैं अपने रूठे यार को मनाऊँ ।

सुबह की वो पहली किरण से ले कर रात क़े वो आख़िरी अंधेरे तक

तू हर वक्त मेरे साथ था उस एहसास को मैं कैसे भुलाऊँ ।

तेरा वो समझाना, चुप चाप मेरी सारी बातें मान जाना 

बोल ना जाना कैसे मैं अब वो तुझे वापस सुनाऊँ ।

तुझ जैसा कोई दूसरा नहीं इस जहां में 

तू ही बता तेरी बदमाशियों के बिना कैसे मैं बेवजह मुस्कुराऊँ ।

वो तेरी बिन मतलब की बातों से ले कर , तेरे वो बेपरवाह मुस्कुराने तक

तेरा वो मासूम सा चेहरा इन आखों से मैं कैसे हटाऊँ ।

हाँ ! बहुत नाराज़ हूँ मैं तेरे इस क़दर बिन बताए जाने से 

एक बार लौट आ मेरे यार ताकि मैं तुझसे फिर लड़ पाऊँ ।

वो आख़िरी लड़ाई जो अधूरी छोड़ी थी तूने

तेरे संग उसे पूरा कर जाना फिर मैं तूझे मनाऊँ ।

देख तेरे जाने के ग़म में अश्कों से आँखें सूजा रखी है मैंने 

तू आ क़े वो डांट ना ज़रा ताकि अपनी बचकानी हरकतों से मैं तेरा सारा ग़ुस्सा पी जाऊँ ।

तू एक ही तो था ज़िंदगी में मेरे 

अब वो अनकही कहानियाँ मैं किसे सुनाऊँ ।

लौट आ जाना बस हम सब के लिए 

एक बार ही सही पर जी भर के मैं तुझे गले लगाऊँ ।

जो धोखा तूने मेरे साथ साथ सबको दिया यूँ अकेले छोड़ कर 

तेरी ये चाल आज मैं सबको बताऊँ ।

यूँ लुक्का छुप्पी मत खेल मेरे यार 

दिल कितना डर गया है ये कैसे मैं तुझे दिखाऊँ ।

लौट आ जाना बस एक बार ही सही

जी भर के तुझे मैं गले लगाऊँ ।



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