लौट आ.....
लौट आ.....
तू कितना याद आता है मुझे ये कैसे मैं तुझे बताऊँ ।
तू लौट कर अब ना आएगा जाना
ये कैसे मैं इस दिल को समझाऊँ ।
तू यार था मेरा तू ही हमदर्द भी
ऐ ख़ुदा तू ही बता कैसे मैं उसे वापस लाऊँ।
रोज़ की खट्टी मीठी तकरार से
कैसे मैं अपने रूठे यार को मनाऊँ ।
सुबह की वो पहली किरण से ले कर रात क़े वो आख़िरी अंधेरे तक
तू हर वक्त मेरे साथ था उस एहसास को मैं कैसे भुलाऊँ ।
तेरा वो समझाना, चुप चाप मेरी सारी बातें मान जाना
बोल ना जाना कैसे मैं अब वो तुझे वापस सुनाऊँ ।
तुझ जैसा कोई दूसरा नहीं इस जहां में
तू ही बता तेरी बदमाशियों के बिना कैसे मैं बेवजह मुस्कुराऊँ ।
वो तेरी बिन मतलब की बातों से ले कर , तेरे वो बेपरवाह मुस्कुराने तक
तेरा वो मासूम सा चेहरा इन आखों से मैं कैसे हटाऊँ ।
हाँ ! बहुत नाराज़ हूँ मैं तेरे इस क़दर बिन बताए जाने से
एक बार लौट आ मेरे यार ताकि मैं तुझसे फिर लड़ पाऊँ ।
वो आख़िरी लड़ाई जो अधूरी छोड़ी थी तूने
तेरे संग उसे पूरा कर जाना फिर मैं तूझे मनाऊँ ।
देख तेरे जाने के ग़म में अश्कों से आँखें सूजा रखी है मैंने
तू आ क़े वो डांट ना ज़रा ताकि अपनी बचकानी हरकतों से मैं तेरा सारा ग़ुस्सा पी जाऊँ ।
तू एक ही तो था ज़िंदगी में मेरे
अब वो अनकही कहानियाँ मैं किसे सुनाऊँ ।
लौट आ जाना बस हम सब के लिए
एक बार ही सही पर जी भर के मैं तुझे गले लगाऊँ ।
जो धोखा तूने मेरे साथ साथ सबको दिया यूँ अकेले छोड़ कर
तेरी ये चाल आज मैं सबको बताऊँ ।
यूँ लुक्का छुप्पी मत खेल मेरे यार
दिल कितना डर गया है ये कैसे मैं तुझे दिखाऊँ ।
लौट आ जाना बस एक बार ही सही
जी भर के तुझे मैं गले लगाऊँ ।