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कवि हरि शंकर गोयल

Romance

4  

कवि हरि शंकर गोयल

Romance

फूल

फूल

2 mins
470


ये फूल ही हैं जो सर्दी, गर्मी , बरसात 

आंधी , तूफान , झंझावात 

सब कुछ सहन करते हैं 

कड़ी धूप में 

विचलित नहीं होते 

और कड़ाके की ठंड में भी

आराम से रहते हैं । 


ये पुष्प ही हैं जो 

इतने कोमल होकर भी 

कांटों के बीच रहकर 

उनसे सामंजस्य 

स्थापित कर लेते हैं 

और विपरीत परिस्थितियों में भी 

खिलखिलाते रहते हैं । 


ये वो सुमन हैं जो 

इतने उदार हृदय के हैं 

जो उनको तोड़ने वाले 

हाथों को भी खुशबू से भर जाते हैं । 

ये तो प्रसून हैं जो 

घर आंगन, वन उपवन 

गुल गुलशन , तन मन 

सबको हमेशा महकाते हैं । 


ये तो फूल हैं जो 

भगवान के शीश पर चढ़कर  

जरा भी ना इतराते हैं ।

किसी सुंदरी के गजरे 

में गुंथकर , उसके आभूषण बनकर 

उसके सौंदर्य में चार चांद लगाते हैं 

किसी अतिथि के पास 

गुलदस्ते के रूप में जाकर 

उसकी गरिमा और भी बढ़ाते हैं । 


ये फूल तो मांगलिक अवसरों पर 

उत्सव के आनंद को और बढ़ाते हैं 

"मिलन की रात" की 

उस बेला को हमेशा के लिए

अविस्मरणीय बनाते हैं । 


ये फूल ही तो हैं 

जो एक शहीद की अर्थी पर 

चढ़कर स्वयं को धन्य पाते हैं 

ये फूल तो वो हैं जो 

किसी "महान" व्यक्तित्व के 

गले में पड़कर उसके गौरव को 

चारों दिशाओं में फैलाते हैं । 


ये फूल ही तो हैं जो 

प्रेयसी, पत्नी बनकर 

हरदम तरोताजा रखते हैं 

ये फूल ही तो हैं जो 

छोटे बच्चे बनकर 

सबका जीवन 

खुशियों से भर जाते हैं । 


फूलों से कोमल अहसासों को 

गुलदस्ते की तरह संजोकर रखते हैं 

ऐ नाज़नीन तुझे क्या खबर कि 

हम तुझे फूलों की तरह 

कितना प्यार करते हैं । 


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