" चाय - सी मुहब्बत है तुमसे "
" चाय - सी मुहब्बत है तुमसे "
सुनो तो,
तुम रोज कहती हो ना,
तुमसे हम कितना प्यार करते हैं,
हमें पूछ पूछकर रह जाती हो,
हम बताते बताते रह जाते हैं,
पर चलो आज फुर्सत में,
तुम्हें कितना प्रेम करते हैं,
आओ बैठो ना पास,
हाथों में धरकर हाथ,
इतमिनान से बताते हैं,
पर देखो,
जब तक पूरी न हो जाए,
तब तक यों ही बैठे रहना,
रोज की चाय की तरह,
मेरे साथ ही बने रहना,
क्या हुआ क्यों चौंक गए,
चाय - सी मुहब्बत है तुमसे,
सच में चाय वाली,
चाय जैसी मुहब्बत करते हैं तुमसे,
तुम रोज सुबह उठकर,
पहले चाय में इश्क घोलती हो,
फिर जरा सी शक्कर से,
उसे पक्का कर देती हो,
तब भी कहां मानती हो,
उसमें जज्बात घोलती हो,
उसके उबलने तक,
न जाने कितनी ही,
कहानियां इश्क की,
मुलाकातें हमारे प्यार की,
उसमें अदरक चायपत्ती,
लौंग इलायची बनाकर डालती हो,
फिर उसे खौलाने तक,
अपने सारे नकारात्मक पहलू,
वास्पीकृत कर देती हो,
तब जाकर प्यार से,
मेरे कप को पहले चूमती हो,
चखकर मिठास उसमें,
या और भी मीठा कर देती हो,
फिर सजाकर उसे जतन से,
अपना और मेरा कप लेकर,
फुर्सत से बैठ जाती हो,
सच में ये चाय वाला इश्क भी,
तुम्हारा और मेरा गजब है,
दिन में कई बार हो जाता है,
जीवन में बार बार हो जाता है,
तब भी भला कहां मन भरता है ,
हमारा भी इश्क यही चाय वाला है,
सच कहा रहा हूं तुमसे,
चाय - सी मुहब्बत है तुमसे,
कहो कितना और कब तक निभाओगी,
सच कहना पर,
जीवन भर ,
क्या हमें चाय पिलाती रहोगी,
या किसी दिन जाना,
अब चीनी कम कहकर,
इसे भी कम कर दोगी,
सच्ची में तुमसे हमें,
चाय - सी मुहब्बत है तुमसे,
हम तो जीवन भर चाय पियेंगे,
संग में पिलाएंगे भी,
तुम भी चाय वाला इश्क,
हमसे आजीवन करोगी,
इश्क की मिठास को,
हर दम चाय में घोलकर,
हमारे साथ बैठकर पीती रहोगी,
परिस्थितियां कुछ भी हों,
चाय - सी मुहब्बत है तुमसे हमें,
इसे निभाती रहोगी,
और पूछना अपना हमसे,
कि इश्क कितना है तुमसे,
इसे चाय संग वास्पिकृत करोगी,
फिर जो हमें ,
चाय - सी मुहब्बत है तुमसे,
तुम भी चाय सी मुहब्बत ,
तुम भी जीवनभर करोगी हमसे।