STORYMIRROR

Vandana Singh

Drama

1  

Vandana Singh

Drama

तुम आये

तुम आये

1 min
2.3K


तुम जो आ गए,

बादलों से पार,

तो तुम्हारा एहसास,

फैला है अब तो हर ओर।


मेरी रातों में,

उजाले की लकीर बनकर,

रेत भरे रास्तों पर,

पथरीली पगडंडियों पर।


अंतहीन दौड़ती सड़कों पर,

अक्सर मुझे अकेले ही चलते देखा है,

नमी भरी मेरी आँखों से,

तनातनी से गुजरी जिंदगी से।


हर बार मेरा हाथ थामा,

जब कभी तुमने अकेले चलते देखा है,

बीत ही गया वो हर कुछ,

अंधेरा, आँसू, जख्म।


मुझे पता भी ना चला,

तुम आये हो जीवन में,

मेरी तकदीर बन कर।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama