टूटा हुआ तारा
टूटा हुआ तारा
यूँ तो टूटी हुई हर चीज
कोई दिल हो या शीशा
आँखों को कभी ना भाती है
लेकिन आसमां के टूटे हुए तारे की तस्वीर
मेरे हृदय को भा जाती है
आसमां की गोद से टूट चुके
उस तारे को मैं क्या लिखूँ?
सागर का आंचल लिख डालूँ जिसमें
असंख्य तारे जगमगाते से प्रतीत हो जाते हैं
या कोई धाम लिखूँ
जिसमें ईश्वर समाते हैं
इस टूटते तारे की मूरत मेरे मन में भी
कई मुरादें जगाती है
इस टूटे तारे की तस्वीर मेरे हृदय को भा जाती है
यूँ तो वो तारा टूट कर बिखर चुका है
पर अब भी मेरी आँखों की पुतलियाँ
उसकी सुंदरता के बोझ तले दबी हैं
उसे अपलक देख चुकी मेरी आँखें
फिर भी लगता है उसका दीदार अजनबी है
इस चाँदनी रात में उस तारे की सुंदरता
मेरा रोम- रोम सजाती है
इस टूटे तारे की तस्वीर मेरे हृदय को भा जाती है....
