तो और क्या लिखूं हाल दिल का
तो और क्या लिखूं हाल दिल का
न लिखूं दर्द दिल का,
तो और क्या लिखूं हाल दिल का,
भूल जाने कोशिशें,
और नाकाम आदतें,
अपनी धुन में खोई हुई,
बिछड़ने की तारीख़ से आज तक,
रुसवाइयों का बहता दरिया,
दर्द में डूबी हुई शाम,
और लिखने की लत,
जीने की आरजू बनता मुकाम।
यही मेरी जिंदगी का सलाम।