मेरा ग़म
मेरा ग़म
फिर गिरेगा मुक़ददर तो कोई उठा लेगा तुझे,
वक़्त गया अब कोई न सभालेगा तुझे..
खिलेंगे फूल तेरी बगिया में,
नया साल बदलेगा दुनिया में..
उल्फतों का हर वो हिसाब होगा,
जिंदगी का हर लम्हा आजाद होगा
गर उनमें शर्म है हया है तो वो ज़िन्दगी बदलेंगे,
यह दुनिया अपनों से बंधी और वो फिर राह लौटेंगे...
नया साल जिंदगी का खूबसूरत हो,
मुकाम ए मंजिल की न कोई दूरी हो।
मेरा दर्द मेरी तन्हाई न समझी गई,
अपनों के सिवा कोई बात होती नहीं..
ज़िन्दगी का सफ़र सुहाना है,
मगर बांकी सब जमाना है..
जो भी पहचानता है दर्द,
उसे कौन मानता है हमदर्द।