तमन्ना
तमन्ना
जी करे उसके नाम का, एक शहर बसा दूँ,
वो कदम जहाँ रखे, मैं अपनी जाँ बिछा दूँ।
लौट कर न लौटूँ कभी, उसके खयालों से,
ताउम्र बस अपनी, उसके साए में गवाँ दूं।
इतनी ज़िद, इतना जुनूॅं मुझमे समा जाय,
वो रुख भी करे, मैं तारे दामन में लुटा दूँ।
काफी है इतना, उसके साय में जी रहा हूँ,
मिले जो रूबरू, न कहीं खुद को मिटा दूँ।
जी करे उसके नाम का, एक शहर बस दूँ।

