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Ravi Jha

Romance Tragedy Classics

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Ravi Jha

Romance Tragedy Classics

सुन भी लो ! अब आ जाओ तुम

सुन भी लो ! अब आ जाओ तुम

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सांस को आस है तुम मिलोगी मुझे 

प्रेम की प्यास है बोलो कैसे बुझे

आ जाओ प्रेयसी गले लग जाओ तुम

उर्वशी सुन भी लो अब आ जाओ तुम।


क्या करूँ क्या लिखूं क्या सुनूँ क्या कहूँ 

विरह के अग्नि को और कितना सहूँ 

आओ होकर के एक कही हो जाए गुम

प्रेयसी सुन भी लो अब आ जाओ तुम।


देखकर मेरा हाल अब हँस रहे हैं सब

अब नहीं आओगी बोलो आओगी कब

आओ मिलकर के गाए प्यार की धुन 

रागिनी सुन भी लो अब आ जाओ तुम।


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