सुन भी लो ! अब आ जाओ तुम
सुन भी लो ! अब आ जाओ तुम
सांस को आस है तुम मिलोगी मुझे
प्रेम की प्यास है बोलो कैसे बुझे
आ जाओ प्रेयसी गले लग जाओ तुम
उर्वशी सुन भी लो अब आ जाओ तुम।
क्या करूँ क्या लिखूं क्या सुनूँ क्या कहूँ
विरह के अग्नि को और कितना सहूँ
आओ होकर के एक कही हो जाए गुम
प्रेयसी सुन भी लो अब आ जाओ तुम।
देखकर मेरा हाल अब हँस रहे हैं सब
अब नहीं आओगी बोलो आओगी कब
आओ मिलकर के गाए प्यार की धुन
रागिनी सुन भी लो अब आ जाओ तुम।

