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Dr.Shilpi Srivastava

Romance

4  

Dr.Shilpi Srivastava

Romance

मुरझाया फूल

मुरझाया फूल

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पुरानी डायरी के पन्नों को पलटा जो कल मैंने,

वहाँ मुरझा हुआ एक फूल मुस्काता नज़र आया,


जो पूछा मुस्कुराने की वजह क्या है बता दो तुम, 

वो अपनी बेबसी पे जोर से हँसता नज़र आया,


वो बोला अब नहीं मैं फिर से गुलशन को सजा सकता,

तुम्हारी इस हँसी पर अब नहीं ख़ुशबू लुटा सकता,


मगर फिर भी मुझे जब भी कभी तुम हाथ लेती हो,

तुम्हारी वो छुअन मैं आज भी बिसरा नहीं पाया।


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