गज़ल
गज़ल
जी चाहता है तुझे चांदनी से नहलाएं आज हम
मांग तेरी चांद - सितारों से सजाएं आज हम।
सांस - सांस में भर दे प्रेम की मदिरा इस कदर
कि प्रेमामृत रस से तुझे नहलाएं आज हम।
इक बार तो लग जाओ सीने से मेरे आ जाए करार
दिल चीर कर तस्वीर आपकी दिखाएं आज हम।
कहते हैं लोग नशा लेकर घुमते हो तुम हमेशा
तेरे इन नशीले नयनों में डूब जाएं आज हम।
तेरी प्यारी- प्यारी सूरत ने वो कमाल कर दिया
चल गया तेरा जादू दिवाने कहलाएं आज हम।
आगोश में मेरी तुम खो जाओ जाना इस तरह
कि किसी को भी नज़र ना आ पाएं आज हम।
तड़प रही है "प्रेम" आ जाओ अब और ना सताओ
कहीं तेरी जुदाई में बेमौत ना मर जाएं आज हम।