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Praveen Gola

Romance

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Praveen Gola

Romance

भीगे लब

भीगे लब

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भीगे लबों को चूमने से,

भीगा सा रंग चढ़ता है,

जिससे ये ज़िस्म सँवरता है,

और धीरे-धीरे पिघलता है।


अक्सर तन्हाई में तेरी,

कल्पनायें जन्म लेती हैं,

जिनमें तू मेरे अधरों को चूम,

और अधिक निखरता है।


भीग उस दिन तेरे संग,

मैं रात भर तड़पती रही,

लबों को चूमने के बाद फिर,

ये बदन और जलता है।


लाल लबों की लाली देख,

भीग कैसे धुल गई,

तेरे लबों में मिलके,

इनका रंग फीका पड़ता है।


फिर भीगने की तमन्ना,

रोज़ मुझे बर्बाद करे,

इन भीगे लबों के सामने,

ये समा भी भीगा लगता है।


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