आ जाओ प्रिये
आ जाओ प्रिये


शब्द पंक्षी उड़ चले हैं
बह रही शीतल हवायें
रौशनी का गीत सुनने
तुम भी आ जाओ प्रिये।
फूल के सूखे अधर पर
नव किरण सजने लगी है
विबिध रँगी बून्द झरकर
पंखुरी रंगने लगी है
स्वर लहर से चल पड़े है
नाचती सारी दिशाएँ
डूबते परिवेश के यहसास करने
तुम भी आ जाओ प्रिये।
पुष्प बृक्षों के शिखर पर
गन्ध लतिका हंस रही है
लहर इसका आचमन कर
गुनगुनाती उठ रही है
प्रेम पंथी चल पड़े हैं
मोहती इनकी अदायें
नह की झंकार सुनने
तुम भी आ जाओ प्रिये।