STORYMIRROR

Aishani Aishani

Romance Tragedy

4  

Aishani Aishani

Romance Tragedy

स्टैच्यू..!

स्टैच्यू..!

1 min
223

बहुत पसंद था तुम्हें

हर बात पर मुझे

स्टैच्यु कह देना, 

और मैं...? 

मैं...!

बुत बन

सिर्फ तुमको सुनती रहती;

उस दिन भी यही हुआ था, 

याद है मुझे;

वो क्षण /

जब मैं कहना चाहती थी कुछ, 

कुछ कदम ही

बढ़ाया था मैंने तुम्हारे तरफ

कि..., 

तुमने पुनः

बुत की तरह रोक दिया

स्टैच्यू कहकर/

और... 

ठहाके लगाने लगे

अपनी इस जानी पहचानी सी

हरकत पर...!! 


और आज...?

आज कहते हो कि..., 

काश...! 

उस वक़्त

स्टैच्यू कह दिया होता

जब तुमने थामी थी

ऊँगली मेरी...! 

तस्वीर बन

तकदीर को चिढ़ाते

हम दोनों...! 


पर...! 

ये तो बतलाओ

तुमने कब थामने दिया

अपनी ऊँगली को...? 

मुख तो अब भी चिढ़ाते हैं, 

वक़्त के साथ

बुत पर पड़ी ये रेखाएँ

पर...! 

तुम्हारे स्टैच्यू कहने

और मेरे बार-बार बुत हो जाने की लत पर...! 

फिर /

अफसोस किस बात का...? 

एक बुत ही तो हूँ

जो आता है

अपने- अपने सहूलियत के हिसाब से

इधर- उधर कर जाता है...! 

पर...! 

हमारे दरमियाँ

इक फ़ासला जो बना दिया

तुम्हारे इक शब्द ने

वो आज भी कायम है...! 

हाँ...! 

बुत तुम तक आ नहीं सकता

और तुम...?? 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance