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Dhan Pati Singh Kushwaha

Classics

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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श्रीकृष्ण अवतार

श्रीकृष्ण अवतार

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बढ़ गये थे जब वसुधा पर,

हद से ही ज्यादा अत्याचार।

द्वापर में लिया विष्णु जी ने ,

श्रीकृष्ण के रूप में अवतार।


निन्यानबे गालियां सुनने का धैर्य,

कृष्ण जी का देता हमको है शिक्षा।

सीमा लांघते शिशुपाल को मृत्युदंड,

फिर न कोई क्षमा न कोई प्रतीक्षा।

अन्यायी को पाप का निश्चित दण्ड,

वह असुर हो या हो खुद का परिवार।


बढ़ गये थे जब वसुधा पर,

हद से ही ज्यादा अत्याचार।

द्वापर में लिया विष्णु जी ने ,

श्रीकृष्ण के रूप में अवतार।


प्रेम की प्रतिमूर्ति थे श्रीकृष्ण,

प्रेम चिह्न रूप मुरली थी हाथ।

दुष्टों को दण्ड देने की खातिर,

अद्वितीय सुदर्शन चक्र का साथ।

महायुद्ध टालने का अंतिम प्रयास,

युगों तक याद रखेगा सारा संसार।


बढ़ गये थे जब वसुधा पर,

हद से ही ज्यादा अत्याचार।

द्वापर में लिया विष्णु जी ने ,

श्रीकृष्ण के रूप में अवतार।


जग में मर्यादा में ही रहना है,

सिखाते मर्यादा पुरुषोत्तम राम।

दुष्ट की दुष्टता का जवाब देना,

उसी भाषा में सिखाते घनश्याम।

प्रभु राम की मर्यादा और राजनीति,

कृष्ण की दो युगों में रहा चमत्कार।


बढ़ गये थे जब वसुधा पर,

हद से ही ज्यादा अत्याचार।

द्वापर में लिया विष्णु जी ने ,

श्रीकृष्ण के रूप में अवतार।


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