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सच्ची मुहब्बत

सच्ची मुहब्बत

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मुहब्बत शिद्दत की निगाह है,

दर्द में भी चाहत बेपनाह है,

खुदा की इबादत जैसे मुहब्बत,

दुनिया के लिये ये गुनाह है।

 

मुश्किलें है हजारों माना मगर,

मुहब्बत में ना इंतकाम है,

लिखी किस्मतों में खुशियाँ अगर,

किसे फिक्र क्या अंजाम है।

 

चाहों अगर मुहब्बत की दुनियाँ,

नर्क से भी बुरे लम्हात हैं,

जरुरी नहीं हो ख्वाहिशें पूरी,

वक्त में बदलते हालात है।

 

मुहब्बत में हो केवल शराफत,

मुहब्बत में ना अत्याचार है,

पाने की चाहत ही है मुहब्बत,

जिद में मगर झूठा प्यार है।

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शशिकांत शांडिले (एकांत), नागपुर

मो.९९७५९९५४५०


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