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Shashikant Shandile

Abstract Tragedy

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Shashikant Shandile

Abstract Tragedy

Dear जिंदगी …………

Dear जिंदगी …………

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सारे सफर में तुझे सोचते आया

मन ही मन खुद को कोसते आया

कितनी शिद्दत भरी थी बेवफाई तेरी

यही खयाल दिल को नोचते आया


क्या कुछ न था दरमियां हमारे

लम्हा लम्हा पुराना जोड़ते आया 

वादे अनकहे थे मगर थे तो सही 

उन वादों को मैं खरोचते आया


हासिल न तुझे हुआ न मुझे हुआ

बेवज़ह गमों को बटोरते आया

ग़ुमशुदा है वैसे तो सूरत पलकों से

फिर भी यादों में मैं तुझे ढूंढते आया


कुछ ऐसे मैं तुझे सोचते आया

के अतीत भी मुझे खोजते आया

जब निकला मैं बाहर खयालों से

तो आज को आज में जोड़ते आया



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