जिहादी ......
जिहादी ......
1 min
11
चरागों को जलाएं रख
नए सपने सजाएं रख
यकीं कर ख़ुदपरस्ती का,
दुखों से जिद बनाएं रख!
गमों की बद्दुआ ले ले,
गमों से दिल लगाएं रख!
कहा तू हार मानेगा,
जलन दिल में बचाएं रख!
'जिहादी' बोल दे दुनिया,
बहस इतनी कराएं रख!