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SHASHIKANT SHANDILE

Others

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SHASHIKANT SHANDILE

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जिहादी ......

जिहादी ......

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चरागों को जलाएं रख

नए सपने सजाएं रख


यकीं कर ख़ुदपरस्ती का,

दुखों से जिद बनाएं रख!


गमों की बद्दुआ ले ले,

गमों से दिल लगाएं रख!


कहा तू हार मानेगा,

जलन दिल में बचाएं रख!


'जिहादी' बोल दे दुनिया,

बहस इतनी कराएं रख!



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