रूठे को कैसे मनाएं
रूठे को कैसे मनाएं
क्या चाहते हो, कहो तो
किसी मिर्जा गालिब का शेर सुनाएं
अरे दूर क्यों खड़े हो तुम नहीं आते तो
बोलो हम थोड़ा सा पास आ जाए
नजर नहीं मिला सकते तो कोई बात नहीं
कहो तो नैनों से हम कोई तीर चलाएं
महफिल तुम्हें पसंद नहीं तो कहो
कहीं एकांत में मिलने को आए
बस सिर्फ कुछ ऐसा सुनाएँ है कि
तुम सुनो तो तुम्हारे दिल को छू जाए
तुम सिर्फ वाह-वाह करते रहो और
हम आकर तुम से लिपट जाए
अरे यार, कल से ही तुम रूठे हो
तुम ही बताओ रूठे को कैसे मनाएं
मनाना हमें नहीं आता कहो तो
हम भी तुम्हारे साथ रुठ जाए