रिश्ते ताक किये
रिश्ते ताक किये
मैं यकीन करता रहा,
वो उम्मीदें तोड़ते रहे,
आज न उनपर यकीन है,
न उनसे कोई उम्मीद है।
वो बेबस समझ बैठे,
मुझे कमजोर समझकर,
और मैं ताकतवर निकला,
उनके जाल से निकल कर।
उनका जाल उनका हाल,
अब हमसे बहुत दूर है,
उनकी यादों में मेरा दिल,
बस लिखने को मजबूर है।
जिसकी मांग हमने लहू से सजाई,
हर वादे पे सजदा कर जिंदगी बिताई,
उस खुशनसीब दिल ने रिश्ते ताक किये,
खूब निभाई गैरों संग कलेजा काट दिये।
भरोसा टूटा रिश्ते टूटे और टूटा दिल,
अब चाह नहीं कहती तड़प कर आ मिल।
कोई बात नहीं मदहोशियां छूट गईं हैं,
एतबार की वो गलियां छूट गईं हैं,
न मिलेंगे शायद अब कभी उम्र भर,
सांसें जीयें या दम लें सिसकियाँ बन गईं हैं।