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राख...

राख...

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कैसे रिश्ते ये... कैसे ये नाते हैं...

अपना ही खून हमें कहाँ अपनाते हैं...

प्यार कहो या कहो वफ़ा...

सब कुछ तो सिर्फ बातें हैं...


रिश्तें कहो या कहो अपने...

सब कुछ तो सिर्फ नाते हैं...

बातें लोग भूल जाते हैं...

नाते हैं टूट जाते हैं...


कौनसी कसमें कौनसे वादें...

यहाँ अपने पीछे छूट जाते हैं...

कितना भी कह लो अपना किसी को...

कोई ना अपना मानेगा...


आग लगाये सारी दुनिया तो क्या...

एक दिन मरने पर अपना खून ही तुझे जलाएगा....

जान ले सच है क्या दुनिया का...

कौन तुझे अपनाएगा...


रिश्ते झूठे, वादे झूठे...

झूठे हैं नाते यहाँ...

अपनों से पीछा तू छुड़ाए...

ये अपना ही बचाएगा...


मर गया जो कल तू...

तुझे यही आग लगाएगा...

यही है जीवन जी ले इसको...

भाग के तू कहा जाएगा...


कसमें वादें प्यार वफ़ा सब...

साथ ही रह जाएगा...

भूल के सब कुछ जिले पल ये...

सब कुछ तो राख हो जाएगा...


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