STORYMIRROR

Harshad Molishree

Drama

3  

Harshad Molishree

Drama

रंग

रंग

1 min
18.3K


रंगों का भी क्या मिजाज है...

हर पल यह बदल जाता है...


कुछ पल सुनहरा दर्शाता है...

तो कुछ पल फीका कर जाता है...


कुछ गाढ़े रंग है,

जिंदगी जिनको खोना नहीं चाहती...


कुछ ऐसी ही फीकी उमंग है

जो जिंदगी में चाहकर भी होना नहीं चाहती...


कुछ अनदेखे रंग हैं

जो आंखों से ओझल रहते हैं...


कुछ जाने-पहचाने रंग है,

जो हर पल आँखों में खोए रहते हैं...


कुछ सतरंगी रंग है,

जो जिंदगी को रंग-बिरंगी बनाता है...


तो कहीं काले रंग है,

जो जिंदगी को बेरंग कर जाता है...


कुछ अतरंगी रंग है,

जो शब्दों में मिठास घोल जाता है...


कुछ अटपटे रंग है,

जो यादों में खोये रहते हैं...


हर रंग, हर लम्हा अजीब है...

कभी रंगीन तो कभी गमगीन है...


कभी हरा तो कभी लाल है...

जिंदगी इन रंगों की तरह ही...

खुशहाल है...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama