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Anu Chatterjee

Drama Romance

4.5  

Anu Chatterjee

Drama Romance

बेसब्र

बेसब्र

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92


छलकत जाए ये गगरी मोरी,

हाय! ये कमर लचकाये.

चित्त बेसब्र होकर 

जवानी मोरी परखत जाए. 


बहती धारा-सी बिलखते ये पल 

मेरी तीज की थाल सजाए. 

तुमरी सजनी आस में बैठी,

मनवा सुध न पाए. 


बिखरे केशू सूर्यप्रभा से ढकते जाए 

तुमरी आस में सिलवटें ये बढ़ती जाएं. 

ओ मोरी, बेचैनी का रंग भी अब ढलता जाए. 


रैना बीती जाए 

बारंबार दर्पण अपनी ओर बुलाए.

मन का साज और मन का पीर 

दोनों हैं दिखते एक से,

समय के साथ-साथ आप बीते जाएं. 


आओ, अब गगरी में पानी कम,

अश्रु की नदी बहती जाए. 

मन उपवन में मोरी माया 

पनघट पर बीती जाए. 



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