रंग बदलते अपने
रंग बदलते अपने
दूर की नहीं वो अपनों में से ही थी
साथ निभाया था हर दम मैंने भी
सोचती थी कभी तो जरूरत होगी
और ये मदद मेरी ही काम आएगी।
भाई बहन वो सब साथ ही रहते थे
पर आपस में बनती एक से भी न थी
बार बार मेरे पास जाया करती थी
मेरे कहने से वो रात भी रुकती थी।
खाना कपड़ा और पैसा सब कुछ
मैंने तो दिया था उसे दिल खोलकर
जब मैंने मांगी मदद मुसीबत पर तो
उसने कहा गलती की है मैंने बोलकर।
माफ कीजिए मुझे मैंने पहचाना नहीं है
मैं नई हूँ अब तक किसी को जाना नहीं है
आपने जरूर ही मेरे हम शक्ल को देखा है
मैंने तो बस अभी अभी आपको देखा है।
