मैं दीवानों का वेश लिए फिरता हूं
मैं दीवानों का वेश लिए फिरता हूं
मैं दीवानों का वेश लिए फिरता हूं।
मैं मादकता नि:शेष लिए फिरता हूं।
जिसे सुनकर जग झूमे, झुके, लहराए।
मैं मस्ती का संदेश लिए फिरता हूं।
मैं सबके सम्मान में झुकता गिरता हूं।
किसी की आँखों से मैं नहीं गिरता हूं।
पथ में रखे पत्थर से मेरा पैर लड़खड़ाए।
ऊपर देखकर चलते हुए मैं नहीं गिरता हूं।
मैं दूसरों को सुख देने के लिए मरता हूं।
मैं दूसरों के दुख लेने के लिए मरता हूं।
किसी पर कोई संकट विपत्ति न आ जाए।
मैं इस प्रयास में तो सदैव जीता मरता हूं।
कोई मुझसे रूष्ट न हो, यह जतन करता हूं।
किसी कारण भ्रमित न हो, यह मंथन करता हूं।
कोई अपने मन में मेरे लिए दुर्भावना न लाए।
स्वच्छ भावना से इस बात का चिंतन करता हूं।
मैं कभी किसी से हारने से नहीं डरता हूं।
मैं केवल संबंधों को खोने से ही डरता हूं।
कोई मेरी सफलता की राह में कांटे बिछाए।
मैं केवल इस ईर्ष्या की भावना से डरता हूं।
