शेक्सपियर ने सही कहा था...
शेक्सपियर ने सही कहा था...
'ये जीवन एक रंगमंच है
और हम सब हैं
अभिनय करने वाले...।"
शेक्सपियर ने सही कहा था, मगर...
आज के इस
त्वरित गति वेग भरी
कलयुग में इंसान तो
यंत्र-सा बन गया है,
जिसे अपने सिवा
किसी पराए की
दर्द-ओ-ग़म का
तनिक एहसास भी,
मानो, है नहीं!
जी हाँँ, यहाँ बेशक़
एक-से-बढ़ के एक
बहुरूपिये मिल जाते हैं,
जो कभी राजा, तो कभी रंक के
भेष में या किसी छद्म वेश में
मिल जाते हैं...!!!
ज़रा खंगालने की ज़रूरत है,
नहीं तो आप नामालूम
बेवकूफ बन जाएंगे...