छोटी कविता
छोटी कविता
अपने दिल की गहराइयों में गर तुमने उतरने दिया होता
तेरे सब गम अपने नाम कर लेता
उतर जाता तेरी आंखों में ग़र काजल की जगह
तेरी आँखों के तमाम आंसू अपने नाम कर लेता
तेरी उस मुस्कान के पीछे छुपा दर्द गर मैं जान गया होता
तो तेरे सब दर्दों ग़म अपने नाम कर लेता
मगर वक़्त ने कुछ ऐसा सितम ढाया कि ये हो ना सका
और अब ये आलम है कि ना तुम पास हो ना करीब हो
ना दोस्त हो ना ही रकीब हो
ना तुम जुस्तजू हो ना आरजू हो
बस मेरे बीते कल का एक ऐसा सुहाना ख्वाब हो
जो कभी हकीकत ना बन सका।

