क्या हुआ चाहती है
क्या हुआ चाहती है
दस्त ए जान ए हीना खु रेज़ हुआ चाहते है
चश्म ए जान ए जहां रुस्ता ख़ेज़ हुआ चाहते है
खु रेज़ ( कातिल )
रुस्ता ख़ेज़ ( कयामत का दिन )
लड़खड़ाते हुए मय ए कुहन मयखाना ए यार में
रंग ब रंगी जाम ए सुबु लबरेज़ हुआ चाहते है
मय ए कुहन ( पुरानी शराब )
बे पर्दा तर्ज़ ए हुस्न ए यार तर्ज़ ए दिलबरी में
तर्ज़ ए जुल्फ रेज़ ख़ेज़ ए बला रेज़ हुआ चाहते है
तर्ज़ ए जुल्फ रेज़ ( अदा से जुल्फ बिखेर कर )
ख़ेज़ ए बला रेज़ ( उठ कर बर्बाद करने वाला )
गुल को गुलशन से बहार को चमन में बिखेर कर
वो गुंचा ए लब बर सर ए शर अंगेज़ हुआ चाहते है
बर सर ए शर अंगेज़ ( बद मआश, उपद्रवी )
हर सु गवगा ए बर सर ए शर अंगेज़ में 'हसन'
वो बे दिल ए जां नसीहत आमेज़ हुआ चाहते है
गवगा ए बर सर ए शर अंगेज़ ( बद मआश के हंगामे , उपद्रव बढ़ा कर )
नसीहत आमेज़ ( सलाह, सुलह, समझोता )