समझौता
समझौता
मैं तुझे समझ पाता नहीं या,
तू मुझे समझ पाती नहीं,
ये बात आज दिन तक,
मैं समझ पाया नहीं।
तेरी हां में मेरी हां ओर,
तेरी ना में मेरी ना,
क्या करूँ मैं इस बारे में,
ये मैं समझ पाया नहीं।
हम दोनों चर्चा करते है,
बात बात में झगड़ा करते है,
बात का क्या अंत होगा,
वो बात मैं समझ पाता नहीं।
कैसा तरंगी है मन तेरा या,
कैसा तरंगी है मन मेरा,
दोनों में से कौन है तरंगी,
ये निर्णय मैं कर सकता नहीं।
तू गुस्सा करे तो मैं समझाऊँ,
मैं गुस्सा करूं तो तू समझाए,
कब तक चलता रहेगा ऐसा,
ये मैं सहन कर सकता नहीं।
छोड़ दे ये गेर समझ को अब,
चल बने हम आदर्श पति-पत्नी,
तू है "मुरली" के दिल की रानी,
ये बात तू क्यूं समझ पाती नहीं।
